जन्मदिन

ओसों की लड़ियों में सूरज खिला

सुकून कुछ जीवन में जा के मिला

मस्ती में तूं मुस्कराती रहे

प्यारा जन्मदिन मनाती रहे।।

हवाओं में सर्दी, मोती झरा आसमान से

आशाओं को दबाये, निकला मकान से।

ये सिर सब झुके हैं, तेरे ही सम्मान से

गुलाब भी खिले हैं, तेरे मंद मुस्कान से।।

ये रोशनी यूं ही जगमगाती रहे

प्यारा जन्मदिन मनाती रहे।।

ये बहारों का मौसम, सदा आता रहे

फूलों पे भौंरा, हमेशा गुनगुनाता रहे।

ईश्वर जीवन में, खुशियां सजाता रहे

दुख दूर से ही, पंख फड़-फड़ाता रहे।।

तूं सौ साल तक खिलखिलाती रहे

प्यारा जन्मदिन मनाती रहे।।

धरा सा लहराये, धानी तेरा आँचल

कर कंगन सजे, आँखों में काजल।

खुशियों से भरा, तेरा रहे पल-पल

जग में फूले – फले, यश तेरा निर्मल।।

ये महफिल यूं ही सजाती रहे

प्यारा जन्मदिन मनाती रहे ।।

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रचनाकार

Author

  • विनोद कुमार 'कवि रंग'

    नाम - विनोद कुमार उपनाम - कविरंग पिता - श्री वशिष्ठ माता - श्रीमती सावित्री जन्म तिथि - 15 /03 /1973 ग्राम - पर्रोई पो0-पेड़ारी बुजुर्ग जनपद - सिद्धार्थनगर (उ0 प्र0) लेखन - कविता, निबंध, कहानी प्रकाशित - समाचार पत्रों मे (यू0 एस0 ए0के हम हिंदुस्तानी, विजय दर्पण टाइम्स मेरठ, घूँघट की बगावत, गोरखपुर, हरियाणा टाइम्स हरियाणा तमाम पेपरों मे) Copyright@विनोद कुमार 'कवि रंग' / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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