ओसों की लड़ियों में सूरज खिला
सुकून कुछ जीवन में जा के मिला
मस्ती में तूं मुस्कराती रहे
हवाओं में सर्दी, मोती झरा आसमान से
आशाओं को दबाये, निकला मकान से।
ये सिर सब झुके हैं, तेरे ही सम्मान से
गुलाब भी खिले हैं, तेरे मंद मुस्कान से।।
ये रोशनी यूं ही जगमगाती रहे
प्यारा जन्मदिन मनाती रहे।।
ये बहारों का मौसम, सदा आता रहे
फूलों पे भौंरा, हमेशा गुनगुनाता रहे।
ईश्वर जीवन में, खुशियां सजाता रहे
दुख दूर से ही, पंख फड़-फड़ाता रहे।।
तूं सौ साल तक खिलखिलाती रहे
प्यारा जन्मदिन मनाती रहे।।
धरा सा लहराये, धानी तेरा आँचल
कर कंगन सजे, आँखों में काजल।
खुशियों से भरा, तेरा रहे पल-पल
जग में फूले – फले, यश तेरा निर्मल।।
ये महफिल यूं ही सजाती रहे
प्यारा जन्मदिन मनाती रहे ।।
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