घरनी मुझसे रूठकर, चली गई ससुराल।
गया बुलाने एक दिन, आगे सुनिए हाल।
आगे सुनिए हाल, सामने साली आई।
अनुपम शिष्टाचार, साथ में लिए मिठाई।
घर पर शव सा रुप, वहॉं दिखती मन हिरनी।
प्रथम मिलन सी बात, शेष आई घर घरनी।।
जीजा जी ससुराल में, बहुत दिनों के बाद।
हंसकर साली ने कहा, भूले बिसरे याद।
भूले बिसरे याद, लक्ष्य सलहज ने साधा।
बीते दिन की कसक, मिटाऊंगी बिन बाधा।
सुधा सरिस रसधार, पूर्ण श्रद्धा से पी जा।
अमरशेष का प्रेम,जिओ तुम युग युग जीजा।।
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