ग्यारह दोहें-तुम राधा मनभवनी , मैं तेरा घनश्याम

हमें सुनाती ज़िंदगी , तन्हाई का गीत ।

भरते-भरते उम्र की , गई गगरिया रीत ।

मेघों के संग आज फिर , उड़ी तुम्हारी याद ।

बरखा करती झूम कर , मिलने की फ़रियाद ।

भादौ बैठ मुंडेर पर , करे बुंदीला गान ।

खेतों का अभिषेक है , नदियों का सम्मान ।

फूलों के आगोश में , खिलता नवल प्रभात ।

लाया सूरज देवता , जीवन की सौगात ।

किसने छेड़े आन कर , मन वीणा के तार ।

कौन अचानक बन गया , यादों का संसार ।

हम फूलों के संतरी , हम फूलों के यार ।

हमसे खिलता है सदा , फूलों का संसार ।

कदम बढ़ाए हिंद ने , अब मंगल की ओर ।

आज बहुत ही हर्ष है , आज बड़ी शुभ भोर ।

बच्चे सारे साथ हैं , बड़े बड़े सब दूर ।

बचपन फूल गुलाब का , यौवन पेड़ खजूर ।

गहरी पीड़ा प्रीत की , उथला साज सिंगार ।

भक्ती आंखों में सजे , होंठों झरता प्यार ।

किसका मन है कांच सा , किसके मन में खोट ।

ये बस वो ही जानता , जिसने खाई चोट ।

मैं प्रभात हूं चम्पई , तुम मदमाती शाम ।

तुम राधा मनभवनी , मैं तेरा घनश्याम ।

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रचनाकार

Author

  • कमलेश श्रीवास्तव

    कमलेश श्रीवास्तव पिता-श्री शिवचरण श्रीवास्तव माता-श्रीमती गीता देवी श्रीवास्तव जन्म तिथि- 14 अगस्त 1960,श्री कृष्ण जन्माष्टमी जन्म स्थान- सिरोज, जिला विदिशा, म.प्र. शिक्षा-एम.एससी.(रसायन शास्त्र) साहित्यिक गतिविधियाँ- आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन हिन्दी उर्दू काव्य मंचों पर काव्य-पाठ| कृतियाँ/प्रकाशन- नवगीत संग्रह समांतर-3, गज़ल संग्रह "वक्त के सैलाब में" एवं गज़ल संग्रह "क्या मुश्किल है" का प्रकाशन सम्प्रति- शाखा प्रबंधक एम.पी. वेअर हाऊसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन शाखा पचौरी, जिला-रायगढ़ में शाखा प्रबंधक के रूप में पदस्थापित| संपर्क सूत्र- 269"धवल निधि" बालाजी नगर,पचौर, जिला- रायगढ़, म. प्र.,पचौर 465683 मो-09425084542 email-kamlesh14860@gmail.comCopyright@कमलेश श्रीवास्तव / इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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