नजरें मिलाने को बेताब थे
गर मिले तो ये क्या हो गया
ख्वाब – ख्वाबों में ही खो गया।।
वासना होती क्षणिक है, जलधार मे जैसे बह गयी
टिकी रेत की इमारत कब, पलभर में वो भी ढह गयी।
चिन्ह हैं कमजोरी का कसमे, दिल में वो भी दह गयी
ढाये सितम पे सितम इतने, मै चुपचाप सब सह गयी।।
गिरकर आँखों से आँसू भी
सारी कलुषता को धो गया
ख्वाब – ख्वाबों में ही खो गया ।।
हमको ही नही कितनों को, धोखा मिला प्यार में
वो मस्ती नहीं जीत में, जो मिल जाती हार में।
पहचान सच का कैसे करें, इन झूठों के बाजार में
घाटा – मुनाफा लगता सदा, इश्क के व्यापार में।।
निष्ठुरता देखके उसकी
दिल अनायास ही रो गया
ख्वाब – ख्वाबों में ही खो गया ।।
हम भी निकले हैं, उस निष्ठुर के तलाश में
बिता डाला जीवन, सिर्फ उसी के प्यास में।
अँधेरा तो निश्चित छटेगा, निर्मल प्रकाश में
दामन भी यदि थाम्हा था, केवल परिहास में।।
मेरे पग-पग पे उसने
मानों विष वृक्ष ही बो गया
ख्वाब – ख्वाबों में ही खो गया ।।