मुझे इश्क़ में और क्या चाहिए था।
फकत रहनुमा, आप सा चाहिए था।
इशारों इशारों में मुझको बुलाकर,
उसे हाले दिल, पूछना चाहिए था।
हुई तो उसे थी मुहब्बत मुझी से,
मगर अब उसे, दूसरा चाहिए था।
वो जब याद आए बहुत याद आए,
उन्ही सा मुझे, देवता चाहिए था।
मुहब्बत नहीं मिल सकी है जिसे भी,
उसे ही यहां, मय-कदा चाहिए था।
ग़रीबी नहीं चाहती जब हुकूमत,
समय पर इसे, जांचना चाहिए था।
शिकायत करें तो करें किससे हम अब,
सियासत को भी, सोचना चाहिए था।
मुमकिन कहां अब प्यार में डूब जाना,
समय पर मुझे, आसरा चाहिए था।
अकेला रहा हूं सदा से ‘अकेला’,
किसी को मुझे, ढूंढना चाहिए था।
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