कुछ पल तो साथ जी लो सबको अकेले जाना
साथ जब भी छूटा तो फिर कहां से पाना
यादों की जमी पर ही रह जाओगे सिमटकर
ये आने जाने का तो है सिलसिला पुराना
जीता है जब तलक तू बस स्वार्थ में ही डूबा
ना गैर की खबर ली ना भाव में ही डूबा
कुछ सोच मन से सब के दिल में जगह बनाना
न जमीन ये रहेगी न तेरा कोई ठिकाना
सब भूल गिले शिकवे सबको गले लगाना
रिश्तो की खुशबू दिल में हरदम ही तुम बसाना
कुछ पल तो दुनिया ये देखती है क्या कर्म है तुम्हारा
भावो में कितने डूबे एहसास क्या तुम्हारा फैलाई
कितनी खुशियां कितने है गम दिए तू
बनेगा रस ये जीवन का कर्म ही तुम्हारा
हंस करके बिताओ यहां तुम जिंदगी अपनी
कर्मों को देख तेरे प्रेरित हो ये जमाना कुछ पल तो
सीढी उमर की सबकी हर पल ही घट रही है
ये रोज ही नए इक डगर पे चल रही है
ये जिस्म जिंदगी की हर घूंट पी रही है
फिर भी न सबके जीवन की प्यास बुझ रही है
सब अपने में ही खोए ना साथ अब किसी का
लगता है आज मुझको अकेला है ये जमाना
कुछ पल तो _