कब तक पाठ शान्ति का हमको,
अभी पढ़ाया जायेगा।
कब तक इन पत्थरबाजों से,
हमको पिटवाया जायेगा।।
कब तक हम अपने ही घर में,
अत्याचार सहें बोलो।
कब तक करते रहें बात हम,
भाई-चारे की बोलो।
कब तक मांगें भीख अमन की,
हम इन पत्थरबाजों से।
कब तक जुल्म सहें बोलो हम,
जेहादी जल्लादों से।
गंगा जमुनी तहज़ीबी को,
क्या हमीं निभाएं ए बोलो।
और कुत्ते जैसी मौत हमीं भी,
पाएं हमसे ए बोलो।
कब तक बहन बेटियों की,
इज्ज़त लुटवाते रहें कहो।
कब तक गांधी के गालों पर,
थप्पड़ खाते रहें कहो।
हमने इनको सिर पर रक्खा,
ए सिर ही काट लिए देखो।
हमने इनको घर में रक्खा,
ए घर ही बांट लिए देखो।
कब तक सहन करें इनको,
हमको ए बतलाओ अब।
सेना को आदेश थमा दो,
देरी मत दिखलाओ अब।
बहुत हो चुका तांडव इनका,
अब मत सहन कराओ तुम।
सेना को आदेश करो,
या कुर्सी छोड़ हट जाओ तुम ।।
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