अश्कों को पलकों पे सजाया है,
एक गीत लबों पर आया है ।
कहां से चले और कहां पे पहुंचे,
ये दौर कहां पर हमें लाया है ।।
ये नया दौर अब आया है ।
अब मानवता रोती चिल्लाती,
कहकहरों ने शोर मचाया है ।।
संस्कृति तार_तार हो रही,
दिखावे का दौर अब आया है ।
मंदिर में दर्शन के खातिर,
वीआईपी पास कोई लाया है ।।
श्रद्धा भाव अब क्षीण हो रहे,
ये दान में प्रचलन आया है ।
किसने कितना दान किया,
ये बड़े गर्व से बताया है ।।
उन कर्मों का क्या होगा,
जो किसी के हक मार कमाया है ।
वो ईश्वर तो सब जानता है,
उससे कुछ न छुप पाया है ।।
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