आसमा जब अहम का झुक जाएगा
मैं ही सब कुछ हूं जेहन पनप जाएगा
तब अहम का नशा दिल में छा जाएगा
देगा कुछ भी नहीं तुझको तेरा अहम
आसमा जब अहम का ये झुक जाएगा
रिश्तो में ताजगी तब ही भर पाएगा
जब जमी चूम लोगे तुम झुक कर कभी
आसमा तेरे कदमों में झुक जाएगा
बीज दिल में अहम का जो पालोगे तो
प्रेम का पौधा दिल में ना उग पाएगा
गुल खिलेगा न दिल के बगीचे में तब
सारा जीवन ये बन्जर सा हो जाएगा
गर अहम का अंधेरा जो फैलाओगे
प्रेम का फिर उजाला ना हो पाएगा
जब दिखे खुद की परछाई खुद से बड़ी
अस्त जीवन का सूरज भी हो जाएगा
जब अहम छोडके प्रेम में डूबे तो
प्रेम सबका ही तुझको भी मिल जाएगा
फिर कमी ना रहेगी तुझे फिर कभी
सारा जग यह तुम्हारा ही हो जाएगा
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