आसमा जब अहम का झुक जाएगा

आसमा जब अहम का झुक जाएगा

मैं ही सब कुछ हूं जेहन पनप जाएगा

तब अहम का नशा दिल में छा जाएगा

देगा कुछ भी नहीं तुझको तेरा अहम

तेरा सब कुछ यहां पर गवा जाएगा

आसमा जब अहम का ये झुक जाएगा

रिश्तो में ताजगी तब ही भर पाएगा

जब जमी चूम लोगे तुम झुक कर कभी

आसमा तेरे कदमों में झुक जाएगा

बीज दिल में अहम का जो पालोगे तो

प्रेम का पौधा दिल में ना उग पाएगा

गुल खिलेगा न दिल के बगीचे में तब

सारा जीवन ये बन्जर सा हो जाएगा

गर अहम का अंधेरा जो फैलाओगे

प्रेम का फिर उजाला ना हो पाएगा

जब दिखे खुद की परछाई खुद से बड़ी

अस्त जीवन का सूरज भी हो जाएगा

जब अहम छोडके प्रेम में डूबे तो

प्रेम सबका ही तुझको भी मिल जाएगा

फिर कमी ना रहेगी तुझे फिर कभी

सारा जग यह तुम्हारा ही हो जाएगा

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रचनाकार

Author

  • गिरिराज पांडे

    गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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