वजह रही हो चाहे जो भी मुझसे मिलने की
स्वार्थ में या की प्रेम में ही बात करने की
आंख के रास्ते से दिल में समाए बैठी है
स्वार्थ में डूब कर के जिद ना कर निकलने की
अब तो मसला भी दिलो का बहुत गमगीन हुआ
कोई तरकीब निकालो सदा ही मिलने की
कभी हंसता तो कभी दिल ये मेरा रोता है
सोच कर के सदा ही बात साथ रहने की
जिंदगी साथ में अपने ही बिताने दो मुझे
मुझको दे दो इजाजत अब तो पास आने की
मेरी भी जिंदगी बीते सदा ही हंसते हुए
कोई तो मुझको वजह दे दो मुस्कुराने की
भले ही डूब कर के स्वार्थ में मिली थी मुझे
मगर ना होना कभी छोड़कर बेगाने की
लाके किस मोड़ पर तूने मेरा दिल तोड़ा है
बनी ना मेरी कभी ना मुझे बनाने दी
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