दुनिया में शायद ही कोई ऐसा वैज्ञानिक आविष्कार हो, जो पहली बार में सफल हो गया हो। दुनिया में शायद ही कोई पर्वतारोही ऐसा हो, जिसके कदम फिसले न हो और पहले ही प्रयास में दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर पहुँच गया हो। कोई काम जब हम शुरू करते है, और अपना लक्ष्य तय करते है कि हमें वहाँ तक पहुँचना है तो संभावना है कि लक्ष्य तक जितना हमने सोचा था उससे ज्यादा समय लगे। कभी भी हमें हताश होकर अपना लक्ष्य नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि व्यक्ति हमेशा अपने अनुभव से ही सिखता है। दुनिया में कितने ही किताबें और प्रेरणादायक विचार हम पढ़ ले वो हमें हमारे लक्ष्य तक नहीं पहुचा सकते। हमे स्वयं ही उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए प्रयत्न करना होगा। इसलिए स्वयं का प्रेरणा श्रोत खुद बनाना चाहिए। मेहनत ही किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की एकमात्र कुंजी है। मेहनत करने में कभी भी मंजूसी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि भाग्य आपका साथ दे न दे; लेकिन आपकी मेहनत आपको कभी निराश नहीं करेगी। जैसे एक छोटा सा बच्चा अभी अभी चलना सिखा है, वह चलता है गिर जाता है, फिर उठता है, लड़खड़ाता है फिर से गिर जाता है। लेकिन वह अपनी कोशिश करना नहीं छोड़ता। अंततः वह चलना सिख ही जाता है। ऐसे ही हमें भी निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, जब तक हम सफल न ह जाए, या फिर हमें हमारा लक्ष्य न मिल जाए। असफलतायों से कभी भी हताश या निराश नहीं होना चाहिए। बल्कि यह सोचना चाहिए कि इस बार कौन सी कमी रह गई मेरे प्रयास में, जिससे मुझे सफलता नहीं मिली। अगली बार दुगने जोश के साथ और दृण संकल्प के साथ प्रयास करने से सफलता मिलने कि संभवना बढ़ जाती है। असफलता को कभी भी अपने जीवन में रुकावट के रूप में नहीं देखना चाहिए।