हमारे भारत में, गलत को गलत कहना भी,
सबसे बड़ा पाप है, अपराध है।
क्यों के कई बार प्रमाण से ज्यादा,
अपने ज्ञान से ज्यादा,
समझ, अपनी शिक्षा से ज्यादा,
हम विस्वास करते पाखंड पर।
कभी धर्म के नाम पर, कभी जाति के नाम पर,
और इस ढोंग को मानने कि सबसे बड़ी वजह,
ये बाबा सब ठीक कर देगा।
हमारे सारे दुःख, दर्द, परेशानी हर लेगा।
अरे वही बाबा, जो कुछ अच्छे कौशल,
मैजिक्स् का अच्छा जानकार हो।
जो बड़ी बड़ी, मीठी मीठी बातों में पारंगत हो।
जो मनोविज्ञान का अच्छा जानकार हो।
कुछ धार्मिक बातें, कुछ सोशल ज्ञान,
तोड़ मरोड़ कर कहने कि कला,
कभी बीमारी ठीक करने का धोखा,
कभी भारत को एकत्र करने का झूठा आस्वासन्।
ऐसे इकठ्ठा करते तो हैं, लोगों का विस्वास,
ढेर सारी संपत्ति, वो भी थोड़े से वक़्त में।
अपने हर वो गैरजरुरि इच्छा,
अपनी हवस, अपना लालच,
वो सबकुछ, जो अपराध कि श्रेणी में आता है।
और ऐसे बाबाओं को कौन नहीं जानता??
कभी इनपर लाखों करोडो लोगों ने अपनी आस्था,
अपनी संपत्ति, अपना विस्वास सब कुछ दिया।
और मिला क्या?? अब सच सबके सम्मुख है।
क्या आप सब नहीं जानते राम रहीम को,
आशाराम को, नारायण साईं, राधे माँ को,
या सचिदानंद गिरी को, बाबा कौसलेन्द्र या फलहारी बाबा को,
गुरुमित् सिंह, हो या निर्मल बाबा,
स्वामी ओम बाबा, इच्छाधरि भिमानन्द को,
असिमानन्द् को, खुद को भगवान कहने वाला रामपाल को या सत्य साईं बाबा आदि।।
कुछ चेहरे उजागर हुए, और भी आगे बाकी है,
जो ना समझे अब भी तुम, उसकी पीढ़ी अन्धकार में है।
अंधविस्वास का कुआँ गहरा, जो डूबा वो उठ ना सका,
फिर भी अगर तुम समझ ना पाए, आगे गलती तेरी है।
ऐयाशी, हवस, लोभ, पाप से ग्रस्त बाबा,
खुद को अवतार, भगवान कहलाते है।
क्या लोगों को अब भी समझ नहीं,
कैसे और क्यों ये ढोंग रचाते है??
पर कभी ना कभी वक़्त के परत से,
हर वो झूठ, फरेब, कपट, मन कि कुरुपता,
अन्याय, पाप का उजागर होता है।
और एक दिन जीत जाता है सच,
पापियों को भी भोगना होता है।
अन्धकार का अंत दिये कि एक लौ से संभव है,
मन को दृढ सन्कल्पि करो, अब तर्क से दोस्ती करलो।
बाबा, गुरु पहले भी हुए, जो अब भी पूजे जाते हैं
जिन्होंने सच का, देश के स्वभिमान् का,
लोगों के उन्नति के लिए, अपना पूरा जीवन निस्वार्थ दिया,
ना लोभ रखा, ना मोह था; ना चाह कोई, ना इच्छा,
वो कहलाए नानक, बुद्ध, महावीर, आदि।।
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