अंग्रेजिक बस एक हव्वा हय (अवधी कविता)

सबके मन मा एक ठाउर अंग्रेजिक बस हव्वा हय।
सब भाषा हय बगुला जस अंग्रेजी एक कौव्वा हय।।
अंग्रेजी जानय वाले मनाई नेपालिन से हय भेद करत।
अंग्रेजी जइसे हय सुपर पावर सोंचि नेपाली हय डरत ।।
जान से जादा हमका पियारी नेपाली राष्ट्रभाषा हय।
नेपाली भाषक ज्ञान हय हमका अंग्रेजिक नाय निराशा हय।।
विदेशी देशन मईहां राष्ट्रभाषक हय देत बड़ा सम्मान।
तुम हिंया विदेशिक भाषा कय खातिर देत होव अपन जान।।
अपन देश तव भाषम धनी भाषन कय फुलवारी हय।
कवि देवकोटा लिखिन साहित्य उ नेपाली हमका पियारी हय ।।
भाषा सिखव जानव बुझव सबसे बड़े विद्वान बनव।
सम्मान देव बस अंग्रेजी का नेपाली भाषा कय शान बनव।।
विदेशी भाषन कय चक्कर मा जो नेपाली भाषा जईहो भुल।
पहिचान हेराई देश कय अपने भाषस होई जाईहो लूल।।
नेपाली भाषय कय दम पर कतने दुनियम नाम किहिंन।
दुनिया भर फैलाई नेपाली भाषा बड़े बड़े काम किहिन।।
न डेराऊ अंग्रेजी से अंग्रेजी विदेशी कय हव्वा हय।
नेपाली बोलय लिखय मा गर्व करव अंग्रेजी तो कव्वा हय।।

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रचनाकार

Author

  • आनन्द गिरि मायालु

    (कवि, लेखक, पत्रकार, समाजसेवी एवं रेडियो उद्घोषक) शिक्षा : स्नातक पेशा : नौकरी रुचि : लेखन, पत्रकारिता तथा समाजसेवा देश विदेश की दर्जनों पत्र पत्रिका में कविता, लेख तथा कहानी प्रकाशित। आकाशवाणी लखनऊ, नेपाल टेलीविजन तथा विभिन्न एफएम चैनल से अंतर्वाता तथा कविताए प्रसारित। भारत तथा नेपाल की तमाम साहित्यिक संस्थाओं से सम्मान तथा पुरुस्कार प्राप्त। पता : करमोहना, वार्ड नंबर 3, जानकी गांवपालिका, बांके (लुम्बिनी प्रदेश) नेपाल।Copyright@आनन्द गिरि मायालु/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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