सुकून है वो तोफ़हा जो सबको सब जगह नहीं मिलता,
इसे पाने के गर खोना पड़े कुछ तो खोना जरूरी है।
एक कप चाय के साथ अपने विचारों में डूबना सुकून है,
अपने लोगों के बीच में बैठ कर बोलना-सुनना सुकून है।
अपने बच्चे को बढ़ते सही रह पर चलते देखना सुकून है,
नहीं मिलता यह हर जगह, अपने घर में भी होना सुकून है।
कभी-कभी लड़ भी लेती हूँ जब कोई नहीं सुनता मेरी बातों को,
बिना कुछ कहे दूसरों को एहसास दिलाना भी सुकून है।
मन उलझन में हो और कुछ समझ न आए, करना क्या है,
उसी समय किसी किसी अपने किसी परिचित का फोन आए,
और आपकी सारी समस्या हल हो जाए, वो सुकून है।
अपनी बहनों से खुद लड़ाई झगड़ा करती हूँ, सुना भी देती हूँ,
जब वो पास में हो तो अच्छा लगता है, ये सुकून है।
मिल जाता है सब-कुछ बाजार में बस सुकून ही नहीं मिलता,
सोचती हूँ कुछ अपने लिए करू, अपने लिए जीना शुरू करू,
जिम्मेदारियाँ मुझे ये करने नहीं देती, गर कर सकु तो सुकून मिले।