लोरियाँ सुनने की इच्छा जागृत जब भी हुई,
तब हमें रोटियों की भूख सताती रही।
हमें चॉंद दिखाकर लोरियाँ मत सुनाओ,
हमें आवश्यकता है सुरज ढलते ही रोटियों की।
हमें चॉंद की शीतलता में लोरी नहीं सुनना,
हम सुरज की गर्मी में रोटियां पकाने की कोशिश करेंगे।
इस जन्म में तो शायद ही हम लोरियाँ सुन पाएंगे,
इस जन्म में रोटियां अगले जन्म में लोरियाँ ।
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