मेघनाद उदास बहुत है,रघुपति से जीत न पाऊंगा,
पिता वचन स्वीकार मुझे,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा,
इंद्र न मुझसे जीत सका,फिर तपस्वी कैसे जीत रहे,
ये नर नही नारायण है,ये मुझे अंतर्मन से दिख रहे ।।
मृत्यु हमारी निश्चित है,अब इससे न बच पाऊंगा,
योद्धा का काम तो लड़ना है,मैं अपना फर्ज निभाऊंगा
मेघनाथ उदास बहुत है,रघुपति से जीत न पाऊंगा,
पिता वचन स्वीकार मुझे,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा
सारे प्रहार विफल हुए,ब्रह्माअस्त्र भी काम न आया,
पशुपतास्त्र ने उनको, कुछ भी हानि नही पहुंचाया।
सीता के हर आंसू का,अब तो मैं मूल्य चुकाऊंगा,
पितृदेव के कृत्य का,मैं परिणाम भोग कर जाऊंगा ।।
मेघनाथ उदास बहुत है,रघुपति से जीत न पाऊंगा,
पिता वचन स्वीकार मुझे,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा।
अपनी प्यारी सुलोचना से,ये रिश्ता तोड़ के जाऊंगा,
उस प्रेम की पावन मूर्ति को,खंडित मैं कर जाऊंगा ।
गए विभीषण छोड़ के तात को,पर मैं छोड़ न पाऊंगा,
मृत्यु भी स्वीकार मुझे पर,तात का वचन निभाऊंगा।।
मेघनाथ बहुत उदास है,रघुपति से जीत न पाऊंगा,
पिता वचन स्वीकार मुझे,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा
जब शिव शंकर भी रूठ गए,वो संबंध पुराने टूट गए,
जब से सीता का हरण किया,लंका के भाग्य फूट गए
गए जहां पर कुंभकर्ण,मैं भी अब वहां पर जाऊंगा,
यज्ञ भूमि में प्राणों की, मैं आहुति आज चढ़ाऊंगा ।।
मेघनाथ बहुत उदास है,रघुपति से जीत न पाऊंगा
पिता वचन स्वीकार मुझे,लड़ते लड़ते मर जाऊंगा ।।