सता लो तुम चाहे जितना मैं तुमको न सताऊंगा ।
कभी तो बैठोगे चुपचाप जब तुमको याद आऊंगा ।।
कदर करता तुम्हारी हूं तब भी तुम गुस्सा करते हो।
करेगा जब गुस्सा तुम पर जब तुमको याद आऊंगा।।
जिस रास्ते पर मिले हो हमको इसी पर वह मिल जाएगा ।
चलते चलते जब भटकोगे जब तुमको याद आऊंगा।।
भरा होगा पूरा आंगन अकेले बैठे होगे तुम ।
आयेगी गूंज कविता की जब तुमको याद आऊंगा।।
गलतियां खुद रोज करते हो माफी मुझसे मंगवाते हो।
गलत तुमको ठहराकर के करेगा जब भी गलती वो जब तुमको याद आऊंगा।।
लडाई की शुरुआत करते हो चुप हमको होना होता है।
चिल्लाएगा जब भी तुम पर वो जब तुमको याद आऊंगा। ।
समस्या कुछ भी होती है हल तो निकाल ही लाता हूं।
समस्या भारी जब होगी जब तुमको याद आऊंगा ।।
संदेह तुम मुझपर करते हो सफाई मै देता रहता हूं।
संदेह जब तुम पर होगा यह जब तुमको याद आऊंगा।।
करोगे बातें जब भी तुम जिन्दगी की अपनी सबसे।
खास पल की जब होंगी बातें जब तुमको याद आऊंगा ।।