पीली पीली सरसो फुलाके यहां चारों ओर
पूरे इस जहां के हर दिल में ही छाई है
इसी के बगल में ही मटर भी फुलाई हुई
छोटे श्वेत पुष्पों से जग हर्षायी है
अरसी चने का पौधा वह भी बड़ा सुंदर लागे
रंग-बिरंगे रूप में सारी धरा ये नहाई है
गाजर लहसुन धनिया भी छटा को विखेरे हुए
मेथी पालक मूली यहां रंग जमाई है
हरे हरे गेहूं से भरे हुए खेत यहां
पूरे ही धरा पे हरियाली बिछाई है
उड़ती सुगंध यहां सबकी ही अलग-अलग
घुलके पवन पूरा धरा महकायी है
गेदा गुलाब मुर्ग केश यहां खिले हुए
हरसिंगार ने तो शोभा बढ़ाई है
रातरानी बेला यहां खिलकर रातों को
चंपा चमेली ने भी जग महकाई है
बार बार देखू इसे दिन और रात को भी
मन ने मेरे भी यही इच्छा जताई है
ऐसा ही सुंदर यहां गांव का परिवेश होता
प्रकृति प्रफुल्लित हो के यहां मुस्काई है
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