पाप की गठरी

पाप की गठरी भारी है भैय्या

पाप की गठरी भारी है भैय्या।

सुन मोरी बहिनी, सुन मोरी मैया

पाप की गठरी भारी है भैय्या…

छल कपट से दूर रहो तुम

खुद पे सारा काम करो तुम।

दुनिया मतलबी सारी है भैय्या….

पाप की गठरी भारी है भैय्या

तन मन उज्ज्वल करके रखना

अपनी नियति को साफ़ ही रखना।

गोरी रंगत मन काला है भैय्या….

जुबां को अपने संभाले रखना

बातों को तुम संयम से रखना।

जर जोरू है पापों की गठरी,

जल्दी से समझो मेरी बातों को भैय्या….

पाप की गठरी भारी है भैय्या

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रचनाकार

Author

  • रंजीत गुप्ता "राही"

    रंजीत गुप्ता "राही" कवि, शायर,ज्ञानार्थी, शिक्षक। प्रतापगढ़,उत्तर प्रदेश। फोन-9170493847 Copyright@रंजीत गुप्ता "राही"/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |

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