निगाहे ऐसी डालो तुम कि दिल शीतल सा हो जाए
भरे दिल प्रेम जीवन में सदा खुशियां बिखर जाएं
रहे सब ही सुरक्षित इन निगाहों के ही घेरे में
डूब कर प्यार में सबका ही मन दर्पण सा हो जाए
ना फैले नफरते मन में कभी ना वासना फैले
जुड़ा हो प्रेम से ही दिल भरा संकल्प हो जाए
सदा ही डूब भावो प्रेम और व्यवहार से अपने
तुम्हारे तन से ज्यादा आज सुंदर मन ये हो जाए
रोज मिलती रहे खुशियां तरोताजा विचारों से
महकता सा ये जीवन भी सदा उपवन सा हो जाए
रहो सबकी निगाहों में सुरक्षा की कवच बनकर
निगाहें प्यार में दर्शन सदा ईश्वर का हो जाए
लोग कहते जहर होता सदा नागों के फन में ही
भरी तेरी निगाहें ही कहीं ना जहर बन जाए
सदा होठों पे धर मुस्कान हृदय को जीत लेना पर
किसी के दिन उजाले ना अंधेरी रात बन जाए
डोलती इन निगाहों पर सदा ही ध्यान रखो तुम
किसी का खिलता जीवन भी कहीं पतझड़ न बन जाए
किसी को भाव में ना डूब कर इतना पिलाओ तुम
पिलाती ये निगाहें ना किसी की मौत बन जाए
रचनाकार
Author
गिरिराज पांडे पुत्र श्री केशव दत्त पांडे एवं स्वर्गीय श्रीमती निर्मला पांडे ग्राम वीर मऊ पोस्ट पाइक नगर जिला प्रतापगढ़ जन्म तिथि 31 मई 1977 योग्यता परास्नातक हिंदी साहित्य एमडीपीजी कॉलेज प्रतापगढ़ प्राथमिक शिक्षा गांव के ही कालूराम इंटर कॉलेज शीतला गंज से ग्रहण की परास्नातक करने के बाद गांव में ही पिता जी की सेवा करते हुए पत्नी अनुपमा पुत्री सौम्या पुत्र सास्वत के साथ सुख पूर्वक जीवन यापन करते हुए व्यवसाय कर रहे हैं Copyright@गिरिराज पांडे/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |