नव वर्ष का नवल प्रभात अति सुखद सुवास हो।
निर्झरिणी बहे स्नेह की जन जन में प्रेम प्यास हो।।
प्रिय से मिलन की चाह हो,
सद्ज्ञान का अवगाह हो।
प्रीति रस अथाह हो।।
सम्बन्धों में सुधा सरिस अनुपम मिठास हो।।
जीवन मधुर बसंत हो।
त्रिया के साथ कन्त हो।
निशा मयंकिनी रहे,
अनुकूलतम दिगन्त हो।
सद्ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित विज्ञान का विकास हो।।
मानवता तरु बढ़े सदा।
घर द्वार हो मुदप्रदा।
जलवायु की अनुकूलता,
तनया सुरक्षित सर्वदा।।
कोई न बचे लक्ष्य शेष श्रेष्ठतम प्रयास हो।।
देखे जाने की संख्या : 378