जब हो बेला हमारी विदा की सखी
करके सिंगार मुझको सजाना सखी
मेरे सजने में कोई कमी ना रहे
ऐसी सुंदर सी दुल्हन बनाना सखी
देख मुझको पिया भी बहकने लगे
संग में मेरे हर दम ही चलने लगे
साथ छूटे ना ऐसे मिलाओ सखी
प्यार हरदम ही उनका मैं पाऊ सखी
साथ मेरे सदा प्यार उनका रहे
एक उनका ही अब आसरा है सखी
अब तो चल करके डोली पे बैठाइए
आंसुओं से पलक को भीगा जाइए
जैसे गाड़ी हमारी उधर को बढे
नयन पलकों को अपने बिछा जाइए
मम्मी पापा हमारे जो बैठे कहीं
पास उनके भी अब तू चली जाइए
तेरी बेटी वहां अब तो रानी बनी
बात करके दिलों को तो समझाइए
मम्मी पापा की आंखों में आंसू भरा
उनकी आंखों से आंसू मिटा जाइए
ना हो कोई शिकन तेरे चेहरे पे अब
सबके चेहरे पर अब तो हंसी लाइए
अब तो सब से बिछड़ कर के जीना पड़े
जीवन दस्तूर है ये निभाना पड़े
जब धड़कने लगे तेरा दिल ये कभी
तो समझ लेना यादों में डूबी सखी
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