त्याग प्रेम दिल भरा तो सब ही अपने हो गए
चल के कर्म पथ पे हम इतिहास अपना गढ गये
हौसले बढ़ाके अपने हम शिखर पे चढ़ गए
धैर्य से डटे हुए उम्मीद सबके बन गए
सत्य पथ पे चलके राह हम सुगम बना गए
अर्थ नगर छोड़कर के भावनगर आ गए
कहते किस्मतों पे ही आज दुनिया चल रही
हम तो कहते मेहनतों से आज हम सब बढ़ गए
जिंदगी जवानी बनके रोज धटती ही गई
मुझको तो खुशियां हमेशा पर्त दर मिलती गई
धर्म-कर्म अपना करके फर्ज हम निभा रहे
आत्म कौशल से कवित्त सर्जना निभा रहे
प्रेम दिल में जब उगा तो दिल उजाला कर गया
उम्मीद खुशियों की जगी जीवन सवेरा हो गया
कोई शिकवा ना शिकायत ना गिला ही रह गई
त्याग प्रेम में ही डूब जिंदगी सवर गई
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