तू जानता है तुझे मैं भुला नहीं सकता
मैं आरज़ू का क़िला ख़ुद ढहा नहीं सकता
करे तू लाख सितम या मुझे फ़ना कर दे
मैं फिर भी साथ तिरे कर ज़फ़ा नहीं सकता
तुझे बना लिया है दिल ने दिलरुबा जानम
किसी भी हाल में अब दूर जा नहीं सकता
तेरे भरोसे पे खुद को दिया लुटा मैंने
यकीन मेरा ये कोई डिगा नहीं सकता
ये मानना है मेरा जिसका प्यार सच्चा है
कोई भी जुल्म उसे फिर मिटा नहीं सकता
सुना है आशिकों का साथ देता है रब भी
कोई सितम भी वो जज़्बा दबा नहीं सकता
ये राज़ जान ले नादान *राज* तू भी अब
कि थाह इश्क़ की हर कोई पा नहीं सकता
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