जागय से सोवय तक लईके खान पान पर धई लेव ध्यान।
रोग बिमारी नियरे ना आई होई जाई सगरिव कल्यान।।
दस तक खटियप सोव रात मा उठय बजे जो पांच सकारे।
महतारी बाप कय पांव पकरी कय सूर्य देवतक जो निहारे।।
खाली पेट पानी पिए खाली करय पेट टट्टी जाय कय।
गांव कय बाहेर दौड़ लगावे भिगवा चना खाय आई कय।।
नहाय धोए कय शाकाहारी खाना भगवान का भोग लगा वे।
दुःख ना देय कउनो जीव जंतु का शाकाहारी खाना खावे।।
गांजा दारू गुटखा बीड़ी ना करय कउनो धूम्रपान।
सौ साल जिए कय खातिर देही बनय पुष्ट बलवान।।
चाय चाउमिन कोक डीयू कबहुं जो ना हाथ लावे।
दुध दहिव जो खाई सदा समझो आपन उमर बढ़ावे।।
देखा दुनी तड़क भड़क से दुर सादा जीवन जो अपनावे।
रहय स्वास्थ्य उ धनी मनई जीवन भर खुंशिया पावे।।
करू नमकीन मिठ खाय से जो मनाई परहेज करत हय।
चुगली से दुर रहत हय झगडा कबहुं नाई करत हय।।
सभ्य कपड़ा जो पहिरत तन पर उहे कय होत मान सम्मान।
खुशी राहत जीवन भर उ नाई करत कऊनो अभिमान।।
सांझ सकारे दुई टाइम मनाई जो खाना खात हय।
उमर पचास कय बादो स्वस्थ जवान देखात हय ।।
दांत मांजे जो नीम दातुन से जो बारेम करूवा तेल लगावत हय।
दवाई डारी कय पकवा आम ओर केरा जो कबहुं नाई खावत हय।।
खानपान रहनसहन पर ध्यान धरी जो जीवन कय उ रस पाई।
उही मनई कय जीवन सफल होई स्वस्थ सुखी वही रहि पाई।।
रचनाकार
Author
(कवि, लेखक, पत्रकार, समाजसेवी एवं रेडियो उद्घोषक) शिक्षा : स्नातक पेशा : नौकरी रुचि : लेखन, पत्रकारिता तथा समाजसेवा देश विदेश की दर्जनों पत्र पत्रिका में कविता, लेख तथा कहानी प्रकाशित। आकाशवाणी लखनऊ, नेपाल टेलीविजन तथा विभिन्न एफएम चैनल से अंतर्वाता तथा कविताए प्रसारित। भारत तथा नेपाल की तमाम साहित्यिक संस्थाओं से सम्मान तथा पुरुस्कार प्राप्त। पता : करमोहना, वार्ड नंबर 3, जानकी गांवपालिका, बांके (लुम्बिनी प्रदेश) नेपाल।Copyright@आनन्द गिरि मायालु/ इनकी रचनाओं की ज्ञानविविधा पर संकलन की अनुमति है | इनकी रचनाओं के अन्यत्र उपयोग से पूर्व इनकी अनुमति आवश्यक है |