कविता
ऋतुराज बसंत मनभावन
चढ़ल बसंती रंग धरा ज्यों, मन में भईल तरंग।लहेलहे लहेके सरसों फुलवा , कोईल करे उमंग।रितु बासंती आवत बाटे , गछिया करे बयान ।गीत मनोहर
चढ़ल बसंती रंग धरा ज्यों, मन में भईल तरंग।लहेलहे लहेके सरसों फुलवा , कोईल करे उमंग।रितु बासंती आवत बाटे , गछिया करे बयान ।गीत मनोहर