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मुझे रात सँवर जाने को कहती है
मुझे रात सँवर जाने को कहती है सुनो नींद आँखों में ठहर जाने को कहती है अजब सी बात थी जिसने मुझे महफूज रखा था
मुझे रात सँवर जाने को कहती है सुनो नींद आँखों में ठहर जाने को कहती है अजब सी बात थी जिसने मुझे महफूज रखा था
कभी जब आरजू दिल की मचल कर गुनगुनाती है वो कहते हैं कि तुमने फिर कई अश्आर कह डाले कभी पूछूं कि तुमको भी कोई
ये कभी ना कह सकूँगी ,तुमसे मेरी जा़त है तुम खुदा हो ,या वफा हो तुमसे हर जज़्बात है कह सकूँ ना फिर ये शायद,
कभी बेज़ार सी बातें कभी अनुसार की बातें कभी कुछ याद सी बहती कभी बेकार सी बातें कभी एहसास लफ़्जों में कभी कुछ गीत शब्दों
तू मिला कि मुझको जहाँ मिला हर दर्द मुझको धुआँ मिला वो जो इश्क़ का भी गुमाँ मिला मुझे बंदगी का जहाँ मिला तू ही
न ही हिज्र है ना बिसाल है ना उदासियों का उबाल है न ही जुस्तजू न ही आरज़ू, हर वक्त तेरा ख़्याल है तेरी याद
चाँद की बातें चाँद के किस्से चाँद के सब अफ़साने हैं बीती बातें बीती रातें गुज़रे कई ज़माने हैं इक अल्हड़ ने उन बातों में
रिश्ते वफ़ा ईमान और जज्बात देखिए आदमी को आदमी की मात देखिए दूसरों की शाम पर फिर कह कहे सुने कितना गिरा है आदमी हालात
जो खो गई हैं चाहतें उनको तलाश दो मोहब्बत की राह में हूँ कोई खराश दो मासूमियत को ही मेरी संगशार कर दिया पत्थर सा
तुम्हारी बेख़ुदी के हम कभी तो राज़दाँ होंगे कभी कू-ए-वफा में फिर मिले तो हमज़ुबां होंगे अना की बेख़ुदी होगी अभी कुछ फ़ासले होंगे जहां