क्या रखा है मायूस होने में
जिंदगी को मत गुजार रोने में कुछ फायदा नहीं है चैन खोने में भूल जायेंगे तुझे सब ही एक दिन बैठ गया तू जो छिप
जिंदगी को मत गुजार रोने में कुछ फायदा नहीं है चैन खोने में भूल जायेंगे तुझे सब ही एक दिन बैठ गया तू जो छिप
यूँ साजिशों की उठती नज़र देखता रहा कितना सहेगा मेरा जिगर देखता रहा जिनकी जफाओं से यहाँ कितने ही दिल दुखे उल्फत का ताज उनके
गुबारे दिल न जाने कब से है रोका हुआ साहिब तुम्हें पहचानने में है मुझे धोखा हुआ साहिब हुये थे जब मुहब्बत में ये इक
आने जाने का सिलसिला रखता भ्रम मुहब्बत का तू बना रखता गुम न होता जो यार तू इकदम दिल ये थोड़ा तो आसरा रखता दूर
जी नहीं लगता कहीं पर क्या करें । सोचते रहते हैं दिन भर क्या करें । हैं सभी दुश्मन हमारी जान के । है यही
इस क़दर टूटे मरासिम वक़्त तनहा रह गया । मुस्कराहट जा चुकी है ज़ख़्म गहरा रह गया । यूँ तेरी तस्वीर रक्खी है ज़हन में
मुस्कुराने से भला क्या दर्द कम हो जाएगा । देखना इन कहकहों का शोर नम हो जाएगा । मौत से डरते हैं हम तो इक
मैं कवि नहीं हूं दिल के बस उद्गार लिखता हूं, नफरतों को दूर कर बस प्यार लिखता हूं। भाई-बन्धु और रिश्तों में घुले है जो
समय के साथ बदले यार,उनका प्यार बदला है, नहीं बदला तो केवल मैं,मेंरा अधिकार बदला है। वही हम हैं, वही हैं यार,जमाना भी वही है
दिया धोखा मुझे तुमने तो फिर अपना बनाया क्यों, कोई तुमको पसंद था और तो मुझको सताया क्यों। तुम्हारी मंजिलें थी क्या?था मकसद तुम्हारा क्या?