कहानी
गुंडा (जयशंकर प्रसाद)
वह पचास वर्ष से ऊपर था। तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठ और दृढ़ था। चमड़े पर झुर्रियाँ नहीं पड़ी थीं। वर्षा की झड़ी में,
वह पचास वर्ष से ऊपर था। तब भी युवकों से अधिक बलिष्ठ और दृढ़ था। चमड़े पर झुर्रियाँ नहीं पड़ी थीं। वर्षा की झड़ी में,
सर्दियों का समय था। एक झोपड़ी के दरवाजे पर बाप-बेटा बुझी हुई आग के सामने बैठे हुए थे। झोपड़ी के अंदर बेटे की पत्नी बुधिया