उड़ान
पारो अपने गांव के मध्य विद्यालय से आठवीं की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर कुर्साकांटा हाई स्कूल
पारो अपने गांव के मध्य विद्यालय से आठवीं की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर कुर्साकांटा हाई स्कूल
भारत और नेपाल की सीमा पर बसे एक छोटा सा धर्मपुर गांव हिमालय की गोद में प्राकृतिक सुषमा से सुशोभित अत्यंत रमणीय गांव है। गांव
शकुंतला चाय लेकर बैठक खाने में आई तो पति का खिला हुआ चेहरा देख कर हीं समझ गई कि शायद बात पक्की हो गई ,
मालिनी अभी शहर में नयी-नयी आयी थी। उसे शहर तथा वहाँ के लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वह तो ठहरी गाँव की
घर परिवार समाज एवं अपने विभाग से अपमानित व मूर्ख पागल हरिश्चंद्र का चेला जैसी उपाधि प्राप्त कर चुके इंस्पेक्टर साहब के चेहरे पर आज
कल सुबह जल्दी उठने के चक्कर में मैं आज रात सो नहीं पा रहा था | जितना जल्दी सोने का प्रयास करता आंखों से नींद
ददुआ का जीवन खेती किसानी में व्यतीत हुआ। न ऊधौ का लेना न माधव को देना। ददुआ सदा अपने बैलों को प्यार करता और उसके
महेश बाबू जब सेवा मुक्त होकर गांव लौटे तो बिल्कुल अकेले हो गए। साल भर पहले हीं पत्नी का स्वर्गवास हो गया था । एक
गर्मी का मौसम था। सुबह की ठंडी- ठंडी हवा रात की भीषण गर्मी से परेशान लोगों को अपने शीतल स्पर्श से मानो थपकियां लगा -लगा