पर्यावरण और नेपाली का काव्य
गोपाल सिंह ‘नेपाली’ उत्तर छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं | वे प्रेम,प्रकृति और राष्ट्रीयता की गीतिकाव्यधारा के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं | इन्होंने आलोचकीय
गोपाल सिंह ‘नेपाली’ उत्तर छायावाद के प्रतिनिधि कवि हैं | वे प्रेम,प्रकृति और राष्ट्रीयता की गीतिकाव्यधारा के विशिष्ट हस्ताक्षर हैं | इन्होंने आलोचकीय
‘वेद’ शब्द की उत्पत्ति ‘विद्’ शब्द से है, जिसका अर्थ – ‘ज्ञान की पराकाष्ठा’ है| वेदों तथा उपनिषदों को ‘श्रुति’ कहा गया है, जिसका अर्थ
हवा के शोर में संगीत सुनना छोड़ दूँ क्या ? जख्म है दिल में, तो जीना छोड़ दूँ क्या ? बेवफ़ाई तेरा फन , जो
किताब में फूल की सूखी पंखुड़ी मिली है। रास्ता मिलता रहा पर मंज़िले ,ना मिली है। तुम्हारे दरों दीवार को पहचानता हूं, तेरे चेहरे की
चांद निकला गगन में, हंसी चांदनी, तो मगन हो के धरती क्या हंसने लगी? माना हंसते हो कुछ पादप लता- संग बेला, चमेली, रातरानी भले,
Comprehension, Synonyms and Antonyms Directions (1 – 12): Read the following passages carefully and answer the questions that follow: Passage – 1 The world has
शोणित था माँ का दूध नहीं था तुम्हें गर्भ में जो थी पिलाती लाने को दुनिया में तुमको सहा था माँ ने दर्द अपरिमित आये
खो गए हैं स्वार्थान्धकार में मानव की मानवता,पुरुषों का पुरुषार्थ औरत की पवित्रता,पापी का पश्चाताप प्रेम भाई के प्रति भाई का, पिता-प्रेम मानव का मानव-मात्र
देखो उस नदी को,निर्झर को नदी की नाद कल-कल, छल-छल निर्झर की झर-झर, झहर-झहर यह हास नहीं नदी-निर्झर की जीवन की भी यह शाश्वत है
धारा चल जीवन की ओर जीवन की किसी मरुभूमि को कर सिंचित,चल जग की ओर धरा के उर्वर कितने कोने, मरू,नागफनी उगे परे हुए तू