जब हवाओं में है आग की-सी लहर
जब हवाओं में है आग की-सी लहर देखिए, खिल रहे किस क़दर गुलमोहर ! हौसले की बुलन्दी न कम हो कभी आदमी के लिए ही
जब हवाओं में है आग की-सी लहर देखिए, खिल रहे किस क़दर गुलमोहर ! हौसले की बुलन्दी न कम हो कभी आदमी के लिए ही
देखा है उन्हें उदास मैंनेहताश नहींथकते देखा हैटूटते नहीं बाढ़ बहा ले जाती हैख़ून-पसीने से उगायी फसलझुलसा देता है सूखाहरिआयी रबी जबदेखा है उन्हें गंभीर,ग़मगीन
क्रान्ति-वेला की ललित ललकार है तुलसी शारदा की बीन की झंकार है तुलसी । शील में देवापगा की लहर की मानिन्द शक्ति में गर्जित जलधि
बटोही जैसे जुगाता है गठरी चिड़िया अंडा जुगाती है जुगाये हमने बीज बोया-लगाया खेतों में कि लहलहायेगी फसल बालियाँ खनकेंगी खिलखिला उठेगा खलिहान फ़कत बीज
बुद्धि के दुर्गम किले में/ कैद भोली भावना है/ कंटकों की कचहरी में /फूल फरियादी बना है ! ज़िन्दगी का अर्थ — केवल अर्थ-संचय, त्याग
जाने क्यों अकसर लगता है अपनों से ही डर लगता है! कठिन समय है, दग़ाबाज भी बातों में दिलबर लगता है! हासिल है जो सीप-शंख-सा
अनमना दिन/हाँफती हवा न चमक , न चहक फैली हुई दूर तक चुप्पी की चादर ! कोई पंजा- अदृश्य,अरुण रेंगता है लताओं , शाखों पर
सेमल के फूल लाल -लाल , कितने लाल ! रंग दिये फागुन ने मौसम के गाल ! झर गया पुरानापन पीत पत्र संग रंग-रूप नया-नया,नयी
चाररोजा ज़िन्दगी में क्यों भला तकरार हो?जितने पल हासिल हमें हैं प्यार केवल प्यार हो । सजल हों कादंबिनी-सा ,सरल शिशु-मुस्कान- सावचन में मन हो
पावन धरती यह बिहार की इसको प्रनमन ! वैशाली ने अखिल विश्व को नव गणतंत्र दिया है महावीर ने मानवता को अमृत मंत्र दिया है