पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

गज़ल

साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए

साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिएशामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल का जहाँनाख़ुदा कश्ती साहिल पे ला दीजिए एक मुद्दत

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कविता

एक दिन आयेगा

एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो

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कविता

मजदूर

मैएकइंसानआप जैसामेरे दिल मेंभी तो पलता हैअरमान आप सामहनती भी हू मैवफा दार भी हूँकाम के प्रतिमजदूरही हूँ मैसच्चाजी मैंएकजीवटश्रमजीवीअपने बूतेपोषित करताअपना परिवारतकलीफ से सहीपर

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कविता

अगरचे हौसला मिट जायेगा

कर्म करने का अगरचे हौसला मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित का

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कविता

मुहब्बत आजमाना चाहता है

मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़

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अनुदित

पतझड़ सावन बन जाता है

दुआओं से झोली भरकर जब जीवन मुस्कुराता है।सारी बलाएं टल जाती पतझड़ सावन बन जाता है।पतझड़ सावन बन जाता है रोज शिवालय शिव की पूजा

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गज़ल

रह जाते हैं

यादों के आईनों में रह जाते हैं ।जाने वाले आंखों में रह जाते हैं । ख़ुशबू बन कर उड़ते हैं फिर बाग़ों में ।तितली के

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