पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

कविता

एक स्वाभिमानी स्त्री

वो पढ़ी, अथक् प्रयास किये,फिर वो आत्मानिर्भर बनी,अपने पैरों पर खड़ी हुई।उसने अपना और अपने माँ पापा का,मान बढ़ाया, सम्मान किया,ज़िम्मेदारी निभाई। कहाँ वो चुक

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कविता

विधि का विधान

विधि का विधान भी कैसा है, सबको सबकुछ नहीं मिलता। किसी को मिलता है सागर तो, किसी को एक बूंद भी नहीं मिलता। कोई पढ़

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कविता

सुकून के पल

सुकून है वो तोफ़हा जो सबको सब जगह नहीं मिलता, इसे पाने के गर खोना पड़े कुछ तो खोना जरूरी है। एक कप चाय के

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कविता

एक प्रार्थना

माना- जीवन के ये रास्ते बहुत लंबे है, चारों ओर बाधाएँ है, अंधेरा है, रुकावट है, लेकिन ये लंबे रास्ते पल भर में कट जाएंगे,

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कविता

सावन का महिना

सावन का महिना सावन सबके लिए खुशहाली लेकर आता है। यह सावन बच्चे, बूढ़े सबको भाता है। चारों ओर फैली हरियाली की चादर, सबके मन

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