
अभी बहकना है यार बाकी
अभी वो निकली है मयकदे से अभी बहकना है यार बाकीअभी कदम पड़ रहे सही है अभी फिसलना है यार बाकी अभी बहारों के साये
अभी वो निकली है मयकदे से अभी बहकना है यार बाकीअभी कदम पड़ रहे सही है अभी फिसलना है यार बाकी अभी बहारों के साये
एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो
मैएकइंसानआप जैसामेरे दिल मेंभी तो पलता हैअरमान आप सामहनती भी हू मैवफा दार भी हूँकाम के प्रतिमजदूरही हूँ मैसच्चाजी मैंएकजीवटश्रमजीवीअपने बूतेपोषित करताअपना परिवारतकलीफ से सहीपर
तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट
बहुत होता सुकूँ तब है कि ज़ब दिल दिल से मिलता हैअदब का हर नज़ारा तब तिरी महफ़िल से मिलता है तिरे पे मर मिटा
कर्म करने का अगरचे हौसला मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित का
मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़
दुआओं से झोली भरकर जब जीवन मुस्कुराता है।सारी बलाएं टल जाती पतझड़ सावन बन जाता है।पतझड़ सावन बन जाता है रोज शिवालय शिव की पूजा
यादों के आईनों में रह जाते हैं ।जाने वाले आंखों में रह जाते हैं । ख़ुशबू बन कर उड़ते हैं फिर बाग़ों में ।तितली के
एक ग़ज़ल मेरे ताज़ा संग्रह ” क्या मुश्किल है ” से ….. सामने बैठी रहो तुम इक ग़ज़ल हो जाएगी ।ज़िन्दगी मेरी यक़ीनन अब सफल