पद्य-रचनाएँ

Category: पद्य-रचनाएँ

कविता

ऋतु राज वसंत

हो गया है आगमन इस वसुधा पर मदमस्त ऋतु -ऋतु राज वसंत का , करने को स्वागत ऋतु राज वसंत की सज गई है पर्ण

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गीत

कान्हा संग खेलें होली

चलो नंदलाल के भवन में कान्हा संग खेलें होली। थोड़ी खेलेंगे हम होली, थोड़ी करेंगे ठिठोली —२सलाह करे आपस में मिलके सखियां सब भोली-भोली।चलो नंदलाल

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गीत

झुमों रे भैया होली है

गालों पर लगाके गुलाल,सब लोग हो गए लाल लाल,झुमों रे भैया होली है। झुमों रे भैया होली है,गाओ रे भैया होली है,नाचो रे भैया होली

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गीत

अवध किशोर के महल में चलों खेलें होली

फागुन का महिना आया रंगीला मौसम आया –२रंगीला मौसम आया होली का उत्सव लाया –२आज अवध में उत्सव मनाएं आओ खेलें होली –२खेलें होली सबमिल

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कविता

फागुन

सरसों फ़ूली ,अमवा बौराये छाई हर ओर उमंग,इत-उत झूम-झूम केगा रहें मकरंद।रोम -रोम केसर घुलीचन्दन महके अंग,आया महोत्सव फाग कासब मिल खेले रंग।।आया फागुन मतवालासब

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कविता

बचपन की होली

कहाँ गये वो दिन जबघर घर होली थी,केमिकल का भयनहीं मन में होली थी। सन्नाटो का काम नहीं,हुड़दंगों की होली थी।मनमुटाव का कोई नामनहीं,भलेचंगो की

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कविता

बसंत जैसे मेरा प्रेम हो

बसंत ऋतु के आगमन परजैसे बगिया फूलों से महकजाती है,वैसे उन्हें देख मेरी पलकेंशर्माकर आँखों से चिपक जाती है। हरे भरे खेत में जैसे लहलहाती

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कविता

एकता और सद्भाव की टोली- होली

पलट के ना देखूँगी जो मुझे मिला नहीं,इस होली कोई शिकवा कोई गिला नहीं। छांछ और भांग का छायेगाजो खुमार,हंसी से लोट पोट हो जायेगा,होगा

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गीत

फागुन (दो छन्द)

भंग की तरंग में उमंग इठलाय रहीसा रा रा रा सा रा रा रा शोर चहुँओर है जाति सम्प्रदाय का कतहूँ भेद भाव नहींजित देखो

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कविता

“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा”

“मेरे आदर्श शिक्षक डॉ बसन्त कुमार झा” आओ सुनाऊं, तुम्हे एक कहानी , बी.एड के बच्चों को दिलों में: तस्वीर है जिसकी जानी-मानी ॥ और

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