
नारी
युग युगों से हूँ बनी पहचान जग में प्रेम की, क्या हुआ यदि मैं नहीं कान्हा की परिणीता हुई। राम जिसके बिन कभी भी राम
युग युगों से हूँ बनी पहचान जग में प्रेम की, क्या हुआ यदि मैं नहीं कान्हा की परिणीता हुई। राम जिसके बिन कभी भी राम
कागज की नौका तैराती काँटो में फूल पिरोती है पूरा परिवार सुला कर वह रोती ज्यादा कम सोती है मच्छर भी कोई आ जाये तो
बसंती बयार होली लायी,हर ओर उड़ रहे रंग-गुलाल,मस्तानों की टोली आयी,अमराई में लगी मंजरी,मदिर मंद मुस्कायी,लगे नव पल्लव बगिया बगान में,सुंदर कलिया मुस्कायी,रंग गुलाल के
आ ही गयी हर दिल अज़ीज़ होली,अब हो जाएगी सबकी मीठी बोली,बच्चों का तो ये पसंदीदा त्यौहार है,बूढ़ों के लिए ये जवानी उपहार है,हर जगह
जैसे सूरज ने खोल दिए हों चितवन झूम उठी है धरती गगनधरती नभ थल में फैल गई दिनकर की स्वर्णिम किरण खिल उठी कलियां पेड़ों
तुम्हारे झूठे नैन अनुत्तरित प्रश्न प्रश्ननीय हल तेरी खुशबू इंद्रजाल सा जादू मन बेकाबू उलझे रिश्ते बेजोड़ विभाजन न घटा न गुणा ख्याली पुलाव जलता
होली आई होली आई ,रंगों की बहार है लाई।होली आई होली आई ।।रंग – बिरंगे गुलालों के संग,मिलकर हम सब हमजोली ।स्नेह और सौहार्द के
देखो तो कैसे ….इठलाता हुआ सा जा रहा है –बसंत,और –आ रहा है मदमस्त हवाओं संगफागुन ….धीरे धीरे ,जहाँ पेड़ों पर फूट रही हैं ,कोपलें