गीत

Category: गीत

नया साल आया है !

पिछले हैं जख्म हरे ,दहशत का साया है विज्ञापन पर सवार नया साल आया है ! थिरक रहे साहब जी,हल्कू हलकान बहुत नगरों में नाच-गान,

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वसन्त आ गया !

कलियों की कनखियाँ, फूलों के हास क्यारियों के दामन में भर गया सुवास बागों में लो फिर वसन्त आ गया ! मलयानिल अंग- अंग सहलाता

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ऋतुराज का जादू

धूप में वापिस तपिश आने लगी फिर हवाओं में घुली ख़ुशबू ! पतझरी मनहूसियत के दिन गये हर नयन में उग रहे सपने नये ठूँठ

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बादल आये

प्यासी धरती का आमंत्रण बादल आये ! मगन मयूरों का मधु नर्तन बादल आये ! अम्बर से अमृत छहरेगा रसा-रूप नित-नित निखरेगा मुरझाये सपने हरिआये

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पिंजड़े का सुगना

चमचम कटोरी में दूध-भात खाता है बाअदब पुकार कर जगाता है स्वामी को सुबह-सुबह पिंजड़े का सुगना फिर राम-नाम गाता है ! धोंसले की झंझट/

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चाँदी के फूल

हरसिंगार-टहनी पर चाँदी के फूल खिले जाने किन सुधियों में औचक ये होंठ हिले ! राहें थीं विजन-विजन थका-थका बोझिल मन ऐसे में , कैसे

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सुलगता अलाव

अधनंगे लोगों का वृत्त में जमाव ताप तनिक , धुआँ अधिक सुलगता अलाव । किस्सों – बुझौवलों से बने नहीं बात मालिक के सूद सरिस

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इसको प्रनमन

पावन धरती यह बिहार की इसको प्रनमन ! वैशाली ने अखिल विश्व को नव गणतंत्र दिया है महावीर ने मानवता को अमृत मंत्र दिया है

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