
ग़ज़ल:-अगरचे हौसला . मिट जायेगा
कर्म करने का अगरचे हौसला . मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित

कर्म करने का अगरचे हौसला . मिट जायेगाकामयाबी का तो समझो फ़लसफ़ा मिट जायेगा सोच से जब प्यार औ दिल से ख़ुदा मिट जायेगाइंसानियत हैवानित

मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़

मचेगी धूम खुल कर के यहाँ इस बार होली में कि बाहों में जो आयेंगे मेरे सरकार होली में जो मेरे रूबरू होंगे मेरे दिलदार

है ये रंग-ए-बहार होली का चल पड़ा कारोबार होली का देखते ही मुझे कहा उसने देखो आया शिकार होली का उसने डाला है रंग यूँ

एक ख़त पुराना मिल गया रंगीन ज़माना मिल गया एक शायरी आशिकी वो दीवानी-दीवाना मिल गया….. एक राह थी अनजान थे कोई मोड़ था कोई

वो जिसने छोड़ा खुद को टूटकर रब के सामने उसे रब सम्हालता ही है न तोड़ता सब के सामने बहस से कभी समस्या का समाधान

सम्हले जमाना जरा कयामत ढाने का इरादा लग रहा है खुद को बदलते दौर में आजमाने का वादा लग रहा है हुस्न तो हुस्न है

साथ कोई हो ये आरजू रही है हर एक की मिल गए और न बने कमी रही विवेक की इंतजार ने बढ़ाई है चाहतों की

मुसलसल युद्ध चलता है कोई घायल ज़ेहन में है । यूँ मैं ख़ामोश रहता हूँ मगर हलचल ज़ेहन में है । न तुम आईं कभी

लफ़्ज़ की चाशनी में घुलेगी नहीं । बेरुख़ी आपकी अब छुपेगी नहीं । पंख कतरे हैं तुमने मेरे प्यार के । बेपरों की ये चिड़िया