गज़ल

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ग़ज़ल:-मुहब्बत आजमाना चाहता है

मुहब्बत आजमाना चाहता हैये दिल पक्का ठिकाना चाहता है किसी की झील सी आँखों में जा केमेरा दिल डूब जाना चाहता है गया हैं तोड़

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इस  बार  होली  में

मचेगी धूम  खुल कर  के  यहाँ  इस  बार  होली  में कि  बाहों  में   जो  आयेंगे  मेरे  सरकार  होली   में जो  मेरे  रूबरू   होंगे    मेरे    दिलदार 

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एक ख़त पुराना

एक ख़त पुराना मिल गया रंगीन ज़माना मिल गया एक शायरी आशिकी वो दीवानी-दीवाना मिल गया….. एक राह थी अनजान थे कोई मोड़ था कोई

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आरजू

साथ कोई हो ये आरजू रही है हर एक की मिल गए और न बने कमी रही विवेक की इंतजार ने बढ़ाई है चाहतों की

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दिल की बस्ती जो उजड़ी ,बसेगी नहीं

लफ़्ज़ की चाशनी में घुलेगी नहीं । बेरुख़ी आपकी अब छुपेगी नहीं । पंख कतरे हैं तुमने मेरे प्यार के । बेपरों की ये चिड़िया

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