घिर गया आजकल मैं सवालों में हूँ
घिर गया आजकल मैं सवालों में हूँ कुछ ख्वाबों में हूँ , कुछ ख़यालों में हूँ! रात है या कि दिन कुछ ख़बर ही नहीं
घिर गया आजकल मैं सवालों में हूँ कुछ ख्वाबों में हूँ , कुछ ख़यालों में हूँ! रात है या कि दिन कुछ ख़बर ही नहीं
मान बेच कर सुविधा पाना-तौबा-तौबा साहब के तलवे सहलाना- तौबा-तौबा ! मिहनत-मजदूरी का रूखा-सूखा अमृत हया गँवा कर हलवा खाना-तौबा-तौबा! गली-गली में, गाँव-शहर में,डगर-डगर में
झूमती फूलों भरी डाली लिखें हर शजर के लिए हरियाली लिखें । सूर्य-किरणों के लिए सादर नमन अमरबेलों के लिए गाली लिखें । रू-ब-रू है
हमक़दम, हमदम न होगा हौसला पर कम न होगा । तमतमाये तमस जितना उजाला मद्धम न होगा । बालिए विश्वास – दीपक संशयों का तम
दर्द की परछाइयाँ भीड़ में है आदमी पर ढो रहा तनहाइयाँ घेरती हैं ज़िन्दगी को दर्द की परछाइयाँ ! वायदे ,नारे सुनहरे कब निभाएँगे जनाब
हम ग़ज़ल किसको सुनायें,बहुत हैं बहरे यहाँ होंठ पर ताले लगे हैं,साँस पर पहरे यहाँ ! सतह पर जो तैरता है मिल रहा मोती उसे
एक मन- अनगिन चुभन,मत शूल की बातें करो ख़ुश्बुओं को भी तलाशो , फूल की बातें करो । बैठकर इस तट लहर गिनने से अब
तीरगी-तीरगी बढ़ रहे ये क़दम चार पल की मधुर चाँदनी के लिए । दरमियाँ दो दिलों के बहुत फासला छू रही है शिखर छल-कपट की
सर्द आहों से क्या भला होगा ये भरम है कि जलजला होगा ओढ़ कर छाँह सो रहा राही दूर तक धूप में चला होगा फूँक
किसको फ़ुर्सत पढ़े-सुनेगा ? फिर भी लिखना है,गाना है ! ख़ुदगर्जी की होड़ मची है मतलब के सब नाते हैं मन में कपट और कटुताएँ