गज़ल

Category: गज़ल

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जो किस्सा अजनबी था

जो किस्सा अजनबी था जिन्दगी का, आजकल हमसफर है जिन्दगी का। कोई भी आदमी परिचित नहीं है, बड़‍ा  तन्हा सफर है  जिन्दगी  का। जो अक्सर

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साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिए

साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिएशामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल का जहाँनाख़ुदा कश्ती साहिल पे ला दीजिए एक मुद्दत

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रह जाते हैं

यादों के आईनों में रह जाते हैं ।जाने वाले आंखों में रह जाते हैं । ख़ुशबू बन कर उड़ते हैं फिर बाग़ों में ।तितली के

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गज़ल

एक ग़ज़ल मेरे ताज़ा संग्रह ” क्या मुश्किल है ” से ….. सामने बैठी रहो तुम इक ग़ज़ल हो जाएगी ।ज़िन्दगी मेरी यक़ीनन अब सफल

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गज़ल

सम्हालो

ये रंगीन कागज़ के रिश्ते सम्हालो ।तुम अपनी वफ़ाओं के तिनके सम्हालो । महकने से पहले कहीं झर न जायें ।मुहब्बत के मासूम गुंचे सम्हालो

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