कविता

Category: कविता

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सावन के मेघ

आषाढ में लगी थी सावन की आस सावन के आगमन के बाद प्रत्येक बादल में बारिश का मात्र भास गर्मी ने बढ़ा दी ठंडक की

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गाँव बन गया है ग्लोबल

गाँव में अब नहीं दिखते गाय, भैंस, बैल-गाड़ी सब कालातीत हो गए हैं दिखते हैं झुंड में कुत्ते रात-बेरात भौंकते, रोते हुए गाँव बन गया

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निगाहें ऐसी डालो

निगाहे ऐसी डालो तुम कि दिल शीतल सा हो जाएभरे दिल प्रेम जीवन में सदा खुशियां बिखर जाएंरहे सब ही सुरक्षित इन निगाहों के ही

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तुम्हारे लिए

आज दीपक जलाऊंगा तुम्हारे लिएमन को मंदिर बनाऊंगा तुम्हारे लिएतन से मन से औ भावो से दिल में बसोंघर बनाऊंगा दिल को तुम्हारे लिए प्रार्थना

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प्रेम रंग

हजारों रंग फीके हैं प्रेम रंग सब पे भारी हैहै फीकी इत्र की खुशबू, खुशबू रिश्तो की भारी हैहमारा सारा जीवन ही भले रंगीन हो

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कुछ रिश्ते ऐसे देखे हैं

कुछ रिश्ते ऐसे देखे हैंस्वार्थो में पलते देखे हैंबाध मुखौटा सच्चाई कापैसों पर बिकते देखे हैं मन में कुण्ठा द्वेष भरेईर्ष्या में जलते देखे हैंखरे

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