सब्र का अभी तक मेरे
सब्र का अभी तक मेरे इम्तिहान जारी है, रात में चरागों का इंतजाम जारी है। रेत के महल में मेरी इक किताब रखी है, घुल
सब्र का अभी तक मेरे इम्तिहान जारी है, रात में चरागों का इंतजाम जारी है। रेत के महल में मेरी इक किताब रखी है, घुल
जो किस्सा अजनबी था जिन्दगी का, आजकल हमसफर है जिन्दगी का। कोई भी आदमी परिचित नहीं है, बड़ा तन्हा सफर है जिन्दगी का। जो अक्सर
हर खुशी ही रेत सी हरदम फिसल जाती है क्यूँहर घड़ी अब जिंदगी की ग़म में ढल जाती है क्यूँ थाम कर के हाथ जिसका
अभी तो शाम बाकी है जरा सूरज ये ढलने दोचले जाना कहाँ रोका है चंदा तो निकलने दो नहीं रोको नहीं मुझको मैं तो मस्ती
जीवन की यही रीत है, साथ निभाए वही मीत है।नैनों से नेह बरसे, दिल से दिल की यही प्रीत है।साथ निभाए वही मीत है जीवन
साज़े-दिल पर ग़ज़ल गुनगुना दीजिएशामे-ग़म का धुँधलका हटा दीजिए ग़म के सागर में डूबे न दिल का जहाँनाख़ुदा कश्ती साहिल पे ला दीजिए एक मुद्दत
अभी वो निकली है मयकदे से अभी बहकना है यार बाकीअभी कदम पड़ रहे सही है अभी फिसलना है यार बाकी अभी बहारों के साये
एक दिन आयेगाऔर हम सब चले जाएंगे। कहां जायेंगेपता नही । पर उस टाइम कोईरोने वाला नही होगा। पर कोने में पड़ी होंगीकुछ कविताएं। जो
मैएकइंसानआप जैसामेरे दिल मेंभी तो पलता हैअरमान आप सामहनती भी हू मैवफा दार भी हूँकाम के प्रतिमजदूरही हूँ मैसच्चाजी मैंएकजीवटश्रमजीवीअपने बूतेपोषित करताअपना परिवारतकलीफ से सहीपर
तुम वर्तमान के पृष्ठों पर ,पढ़ लो जीवन का समाचार ।क्या पता कौन से द्वारे से ,आ जाये घर में अंधकार।। आशा की किरणें लौट