गद्य–रचनाएँ

Category: गद्य–रचनाएँ

कहानी

लड़का ही क्यों?( कहानी)

गाॅंव में सामाजिक परिवर्तन किस तरह से किया जा सकता है,इस संदर्भ में उच्च शिक्षित लड़कों में चर्चा हो रही थी,उसी समय जोर से आवाज

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गद्य–रचनाएँ

बड़का पाँड़े

महान व्यक्तित्व के धनी बड़का पाँड़े को कौन नहीं जानता। पूरे तहसील में उनका नाम लेते ही अनायास ही लोगों के मुख से निकल जाता

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कहानी

आंगन के फूल

लोग कहते हैं कि मां-बाप के लिए सभी संतान एक जैसी होती हैं पर ऐसा होता कहां है, यह तो सिर्फ कहने सुनने के लिए

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कहानी

रेत का घर

घास फूस की झोपड़ी में रहने वाला रामस्वरूप भले हीं अनपढ़ हो पर उसकी कारीगिरी को देखकर लोग दंग रह जाते हैं ,गांव से शहर

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कहानी

तुलसी

हरिपुर के छोटे जमींदार देव बाबू के घर में आज खूब चहल-पहल हो रहा था , चारों ओर खुशियां हीं खुशियां थी । घर के

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कहानी

सुग्गो

दर्जन भर सूअरों के पीछे – पीछे दौड़ लगाती हुई सुग्गो जब ब्राह्मण टोला के पास जाती तो नीले और सफेद कपड़ों में सज धज

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कहानी

उड़ान

पारो अपने गांव के मध्य विद्यालय से आठवीं की परीक्षा पास कर आगे की पढ़ाई के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर कुर्साकांटा हाई स्कूल

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आलेख

भूल जाना भी अच्छी आदत साहब

भूलना भी एक बेहतर आदत है साहब। सबकुछ याद रह जाना भी कोई अच्छी बात नहीं। दरअसल कुछ लोगों की स्मृति इतनी बढ़िया होती है

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कहानी

रामदुलारी

भारत और नेपाल की सीमा पर बसे एक छोटा सा धर्मपुर गांव हिमालय की गोद में प्राकृतिक सुषमा से सुशोभित अत्यंत रमणीय गांव है। गांव

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