
जान बची तो लाखों पाये
आज तो होली खेले बगैर जाने नहीं देंगे इतना कह कर करीब करीब 15 लड़कों का झुंड उन 5 लड़कियों के ग्रुप को घेर कर
आज तो होली खेले बगैर जाने नहीं देंगे इतना कह कर करीब करीब 15 लड़कों का झुंड उन 5 लड़कियों के ग्रुप को घेर कर
नेपथ्य से स्वर – जो किस्सा सुनते आये बाबा- दादा के मुख से, वही आज हम तुम्हें सुनाते हैं । रंग -गुलाल का उमंग- उल्लास
“पता है आज होली खेली जा रही है.” स्त्री स्वर “हाँ…”, उदासीन पुरुष स्वर. “तो…!!” “तो?” “हम भी खेलें?” “हाँ.” “लो अबीर का थाल.” “थाल?”
जल के बिना जीवन संभव नहीं, जल है तो जीवन है।रामचरितमानस- किष्किन्धाकाण्ड में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है किक्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा ।पंच रचित्
लेखिका- चंचलिका शर्मा अयन प्रकाशन “मन पाखी अकेला” हिंदी साहित्य प्रेमियों की सुपरिचित एवं वरिष्ट साहित्यकार चंचलिका शर्मा जो किसी परिचय की मोहताज़ नहीं ,
पुस्तक समीक्षा – रात की धूप में कवि – पीयूष सिंह प्रकाशक – हिन्द युग्म पियूष सिंह , दिल से कवि किन्तु पेशे से इंजिनियर
पुस्तक समीक्षा- अक्टूबर जंक्शन लेखक – दिव्य प्रकाश दुबे प्रकाशक – हिन्द युग्म सामान्य शब्दावली में, एक किस्सागो से कहानी सुनने जैसा है इस पुस्तक
रात बीत चुकी थी, सुबह का स्वच्छ आसमान धीरे-धीरे लाल रंग में परिणत हो रहा था । पर्वत की आड़ से भगवान भुवन भास्कर अपनी
प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद श्री सत्यमित्रानन्द जी ने उचित ही कहा है कि सन्यासी को सम्पत्ति निर्माण में रस आने लगे तो उसका सन्यास नष्ट हो
“आशा, मुझे बच्चों को बहुत पढ़ाना हैं, क्योंकि उनकी हालत अपने जैसी कभी न हो।” विजय ने पत्नी से कहा।“क्या खाक पढ़ाओ गे। हर वर्ष