पुस्तक समीक्षा – मन पाखी अकेला
लेखिका- चंचलिका शर्मा अयन प्रकाशन “मन पाखी अकेला” हिंदी साहित्य प्रेमियों की सुपरिचित एवं वरिष्ट साहित्यकार चंचलिका शर्मा जो किसी परिचय की मोहताज़ नहीं ,
लेखिका- चंचलिका शर्मा अयन प्रकाशन “मन पाखी अकेला” हिंदी साहित्य प्रेमियों की सुपरिचित एवं वरिष्ट साहित्यकार चंचलिका शर्मा जो किसी परिचय की मोहताज़ नहीं ,
पुस्तक समीक्षा – रात की धूप में कवि – पीयूष सिंह प्रकाशक – हिन्द युग्म पियूष सिंह , दिल से कवि किन्तु पेशे से इंजिनियर
पुस्तक समीक्षा- अक्टूबर जंक्शन लेखक – दिव्य प्रकाश दुबे प्रकाशक – हिन्द युग्म सामान्य शब्दावली में, एक किस्सागो से कहानी सुनने जैसा है इस पुस्तक
रात बीत चुकी थी, सुबह का स्वच्छ आसमान धीरे-धीरे लाल रंग में परिणत हो रहा था । पर्वत की आड़ से भगवान भुवन भास्कर अपनी
प्रातः स्मरणीय पूज्यपाद श्री सत्यमित्रानन्द जी ने उचित ही कहा है कि सन्यासी को सम्पत्ति निर्माण में रस आने लगे तो उसका सन्यास नष्ट हो
“आशा, मुझे बच्चों को बहुत पढ़ाना हैं, क्योंकि उनकी हालत अपने जैसी कभी न हो।” विजय ने पत्नी से कहा।“क्या खाक पढ़ाओ गे। हर वर्ष
गाॅंव में सामाजिक परिवर्तन किस तरह से किया जा सकता है,इस संदर्भ में उच्च शिक्षित लड़कों में चर्चा हो रही थी,उसी समय जोर से आवाज
महान व्यक्तित्व के धनी बड़का पाँड़े को कौन नहीं जानता। पूरे तहसील में उनका नाम लेते ही अनायास ही लोगों के मुख से निकल जाता
लोग कहते हैं कि मां-बाप के लिए सभी संतान एक जैसी होती हैं पर ऐसा होता कहां है, यह तो सिर्फ कहने सुनने के लिए
घास फूस की झोपड़ी में रहने वाला रामस्वरूप भले हीं अनपढ़ हो पर उसकी कारीगिरी को देखकर लोग दंग रह जाते हैं ,गांव से शहर