
मैं हूं ना
मैं हूं ना वाक्य नहीं जादू की छड़ी है जो पल भर में बुझे हुये मन जो अवसाद की घोर अंधेरी गली से निकालकर आशा
मैं हूं ना वाक्य नहीं जादू की छड़ी है जो पल भर में बुझे हुये मन जो अवसाद की घोर अंधेरी गली से निकालकर आशा
कहानी-संग्रह – प्रत्याशा लेखिका- अनुमिता शर्मा प्रकाशक – हिन्द युग्म अनुमिता शर्मा की कृति प्रत्याशा 11 चुनिन्दा कहानियों का संग्रह है. हर कहानी एक भिन्न
कविता संग्रह -‘रात की धूप में’ कवि – पीयूष सिंह प्रकाशक – हिन्द युग्म पीयूष सिंह , दिल से कवि किन्तु पेशे से इंजिनियर इस
लेखिका-आभा श्रीवास्तव प्रकाशक- सन्मति पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स कथा संग्रह की कहानियों को जैसा मैंने समझा समीक्षा रूप में प्रस्तुत है किन्तु यह कथा सार नहीं
पुस्तक- समीक्षा-‘दरिया बन्दर कोट’ लेखिका -उपासना प्रकाशक -हिन्द युग्म आम लीक से हटकर , पुस्तक में प्रस्तावना का न होना अचंभित करता है वहीं किसी
पुस्तक-समीक्षा-‘भोर उसके हिस्से की’ लेखक – रण विजय प्रकाशक -साहित्य विमर्श प्रकाशन गुणात्मक एवं स्तरीय साहित्य की अभिलाषा रखने वाले सुधि पाठक रण विजय नाम
पुस्तक-समीक्षा – ‘वो फ़ोन कॉल’ लेखिका – वंदना बाजपेयी “लड़कियों के सपने उस कभी न खुलने वाले संदूक में उन के साथ साथ ससुराल और
पुस्तक – कागज़ के फूल लेखक : संजीव कुमार गंगवार प्रकाशक :बोधरस प्रकाशन गुरुदत्त जी की कृति “कागज़ के फूल” को केंद्र में रख कर
पुस्तक-“उठापटक” समीक्षक- अतुल्य खरे लेखक-प्रभु दयाल खट्टर शारदा पब्लिकेशन, दिल्ली. साहित्य की विभिन्न विधाओं से सम्बद्ध रहते हुए, दूरदर्शन तथा राष्ट्रिय अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद्
बताया जाता है कि पुराणों के अनुसार होली त्योहार मनाए जाने की शुरुआत प्रहलाद-होलिका-हिरण्यकश्यप की प्राचीन कहानी से हुई है जिसमें होलिका जल जाती है