पुस्तक- समीक्षा-‘दरिया बन्दर कोट’
पुस्तक- समीक्षा-‘दरिया बन्दर कोट’ लेखिका -उपासना प्रकाशक -हिन्द युग्म आम लीक से हटकर , पुस्तक में प्रस्तावना का न होना अचंभित करता है वहीं किसी
पुस्तक- समीक्षा-‘दरिया बन्दर कोट’ लेखिका -उपासना प्रकाशक -हिन्द युग्म आम लीक से हटकर , पुस्तक में प्रस्तावना का न होना अचंभित करता है वहीं किसी
पुस्तक-समीक्षा-‘भोर उसके हिस्से की’ लेखक – रण विजय प्रकाशक -साहित्य विमर्श प्रकाशन गुणात्मक एवं स्तरीय साहित्य की अभिलाषा रखने वाले सुधि पाठक रण विजय नाम
पुस्तक-समीक्षा – ‘वो फ़ोन कॉल’ लेखिका – वंदना बाजपेयी “लड़कियों के सपने उस कभी न खुलने वाले संदूक में उन के साथ साथ ससुराल और
पुस्तक – कागज़ के फूल लेखक : संजीव कुमार गंगवार प्रकाशक :बोधरस प्रकाशन गुरुदत्त जी की कृति “कागज़ के फूल” को केंद्र में रख कर
पुस्तक-“उठापटक” समीक्षक- अतुल्य खरे लेखक-प्रभु दयाल खट्टर शारदा पब्लिकेशन, दिल्ली. साहित्य की विभिन्न विधाओं से सम्बद्ध रहते हुए, दूरदर्शन तथा राष्ट्रिय अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद्
बताया जाता है कि पुराणों के अनुसार होली त्योहार मनाए जाने की शुरुआत प्रहलाद-होलिका-हिरण्यकश्यप की प्राचीन कहानी से हुई है जिसमें होलिका जल जाती है
आज तो होली खेले बगैर जाने नहीं देंगे इतना कह कर करीब करीब 15 लड़कों का झुंड उन 5 लड़कियों के ग्रुप को घेर कर
नेपथ्य से स्वर – जो किस्सा सुनते आये बाबा- दादा के मुख से, वही आज हम तुम्हें सुनाते हैं । रंग -गुलाल का उमंग- उल्लास
“पता है आज होली खेली जा रही है.” स्त्री स्वर “हाँ…”, उदासीन पुरुष स्वर. “तो…!!” “तो?” “हम भी खेलें?” “हाँ.” “लो अबीर का थाल.” “थाल?”
जल के बिना जीवन संभव नहीं, जल है तो जीवन है।रामचरितमानस- किष्किन्धाकाण्ड में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है किक्षिति, जल, पावक, गगन, समीरा ।पंच रचित्