क्या कंप्यूटर शिक्षकों की जगह ले सकता है
कोई भी उन्नत से उन्नत तकनीक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। शिक्षक का काम केवल पढ़ाना-लिखाना ही नहीं होता बल्कि बच्चे का चहुंमुखी विकास
कोई भी उन्नत से उन्नत तकनीक शिक्षक की जगह नहीं ले सकती। शिक्षक का काम केवल पढ़ाना-लिखाना ही नहीं होता बल्कि बच्चे का चहुंमुखी विकास
किसी भी देश या प्रदेश के साहित्य के मूल में जनता की चित्तवृत्ति ही होती है। यह चित्तवृत्ति संस्कार, मूल्य तथा आस्था से युक्त होती
समाजवाद, राष्ट्र और चन्द्रशेखर – डाॅ. उमेश कुमार शर्मा समाजवादी विचारधारा ने जितनी अधिक हलचल वर्तमान शताब्दी में उत्पन्न की है, उतनी अन्य किसी भी
इस मोड़ से आगे(उपन्यास) लेखक : रमेश खत्री मंथन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित समीक्षक:- अतुल्य खरे साहित्य लेखन मात्र से भिन्न, साहित्य के प्रकाशन में भी
अँधेरे के खिलाफ़(काव्य संग्रह) कवि: राम पाल श्रीवास्तव ‘अनथक’ समदर्शी प्रकाशन गाजियाबाद द्वारा प्रकाशित समीक्षक:-अतुल्य खरे “खाबे हस्ती मिटे तो हमारी हस्ती हो , वरना
उपन्यास:- कॉफी विद कृष्ण लेखक : भरत गढ़वी FLYDREAMS पब्लिकेशन्स द्वारा प्रकाशित समीक्षक :- अतुल्य खरे युवा साहित्यकार भरत गढ़वी साहित्य के क्षेत्र में सद्य
उपन्यास : कोचिंग @कोटा लेखक : अरुण अर्णव खरे ए पी एन पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित समीक्षक- अतुल्य खरे विगत कुछ वर्षों में राजस्थान का कोटा
मां ! अर्पित है चरणों में, सादर नमन, वंदन !! मां तो सिर्फ मां होती है। उसकी बराबरी दुनिया की कोई चीज नहीं कर सकती
बिहार के लिए एक कहावत बेहद प्रचलित है- “एक बिहारी सौ पे भारी।” बौद्धिकता यहां के कण-कण में विद्यमान था। लेकिन अफसोस ऋषियों, मुनियों एवं
“भूलों नहीं अहमियत रिश्तों की कभी,ये वो नाज़ुक डोर हैं जों जुड़ती नहीं फिर से।” वर्तमान युग में रिश्ते-नातों की अहमियत कम होती जा रही