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देश की आन पे सर अपना कटा देते हैं
हम मुहब्बत में दिलो जान लुटा देते हैंइश्क़ करते हैं तो ता उम्र वफ़ा देते हैं देश के वास्ते जो ख़ुद को मिटा देते हैंउनके
हम मुहब्बत में दिलो जान लुटा देते हैंइश्क़ करते हैं तो ता उम्र वफ़ा देते हैं देश के वास्ते जो ख़ुद को मिटा देते हैंउनके
कई लोगों के ख़त आए पर एक तेरा नहीं आया l शायद इस बार भी डाकिया मेरा घर नहीं पाया ll बड़ी उम्मीद से देखा
सितम यूं मुझपे ढा रहा है कोई। नज़र झुका के जा रहा है कोई।। बढ़ी धड़कन बता रही मुझको, मेरे दिल में समा रहा है
चन्दन सा बदन लबों पे ताजा गुलाब है। कुछ लोग कह रहे के ये माहताब है। जिस पड़ी उसे फिर होश कभी न हुआ, ये
आसमानों का परिन्दा कर दिया । वक़्त ने हमको अकेला कर दिया । यूं किसी ने चीर कर मेरा ज़हन । रूह के जाने का
कुछ खट्टी सी कुछ मीठी सी कुछ प्यार भरीं कुछ खार भरीं कुछ सौंधी सौंधी महक लिये कुछ यादगार कुछ भाव विमल कुछ रिश्तों की
दरवाज़ा दीवार हुआ बिन दस्तक बेज़ार हुआ रिश्तों के सब झूठ खुल गए जब मोहसिन तलवार हुआ लंबी चुप और दिल भी खाली, निस्बत की
अजब अजब सी रविश मिली है दुनिया के दीवारों पर कभी तसव्वुर कभी खुशबुयें कभी अश्क़ रुख़सारों पर आओ कुछ अल्फ़ाज़ बाँटलें कुछ तो शब्द
वो यकता है मगर लगता कई है। हुनर उसमें ये देखो वाकई है।। रकीबे बज़्म में क्या आप दिखे, दिले नादान को फुर्सत हुई है।।
वक़्त की टहनी पे अब भी खिल रहा हूँ मैं । राह तेरे लौटने की देखता हूँ मैं । बिन तेरे कैसे जिऊँगा सोचता हूँ