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मानव
कुछ जानबूझ के कुछ अनजाने में किया करते हैं हम उनको कैसे कह दे अकेले ही जिया करते हैं फितरत है दुनिया की हर रोज
कुछ जानबूझ के कुछ अनजाने में किया करते हैं हम उनको कैसे कह दे अकेले ही जिया करते हैं फितरत है दुनिया की हर रोज
जाना मेरा तय है अपना ना बनाओ ओ दिलरुबा इसे ठिकाना ना बनाओ गुजर जाएगा वक्त बहाना ना बनाओ दिल है साफ- साफ दीवाना ना
खुशी-खुशी बीत जाए जिंदगी का सफर कौन यहां रहने आया जग में जो आया वही भरमाया कौन यहां रहने आया कल्पना क्या करें सभी सरताज
प्यार करते हो जताने की ज़रूरत क्या हैहम पे मरते हो दिखाने की ज़रूरत क्या है हम तो ऑंखों से नशा कर ही चुके हैं
वक्त ने बनाया मुझे वक्त से दीदार करूं वक्त के है हक में मुझे चाहे की इंकार करे समय का फैसला जिसका श्रृंगार करू जो
उम्र बस थोड़ी बची है काम बाक़ी हैं बहुत । एक था आग़ाज़ पर अंजाम बाक़ी हैं बहुत । यूँ रिहा हूँ अब मैं तेरी
आप शम्आ हो और हम परवाने हैं आये हम आप पे ही तो मर जाने हैं आप जब भी जलोगे जहाँ जानेमन हम भी जलने
इश्क़ का रोग पाल कर देखो अपने दिल को उबाल कर देखो मै समंदर हूँ मुझमे मोती हैं आओ मुझको खँगाल कर देखो तुमको अपना
उनको हम भी प्यार करेंगे क़िस्तों में । मर मर कर हम ख़ूब जियेंगे क़िस्तों में । बोझिल पंखों में अब भी काफ़ी दम है
तेरी ख़ातिर चढ़ा देंगे वतन हम भेंट तन मन कीनहीं चिंता करेंगे अपने सुख की अपने जीवन की निपटने के लिए दुश्मन से काफ़ी बाँकपन