अलविदा कहकर
जा रहा हूं तेरे शहर को अलविदा कहकर और न रह पाएंगे तेरे शहर में हम खफा होकर जा रहा हूँ तेरे सहर को अलविदा
जा रहा हूं तेरे शहर को अलविदा कहकर और न रह पाएंगे तेरे शहर में हम खफा होकर जा रहा हूँ तेरे सहर को अलविदा
नास्तिकता यू ही नही उभरती हैजब अंग–अंग छलती हैजब अंग–अंग तड़पती हैजब अन्याय के आगे आसमान असहाय हो जाता है !जब निश्चल पवित्र मन परईश्वर
कान्हा तोहर मुरलीया जब जब बाजेतब–तब पनघट तीरे राधा नाचेकान्हा तोहर मुरलीया जब जब बाजे। मोर ,पपिहा सब मधुर स्वर में मगनधरती ,आकाश में उमड़ती
नास्तिकता यू ही नही उभरती हैजब अंग–अंग छलती हैजब अंग–अंग तड़पती हैजब अन्याय के आगे आसमान असहाय हो जाता है !जब निश्चल पवित्र मन परईश्वर
जल नही,कल की जिंदगी हैबचा लो जितनी उतनी ही जिंदगी है ।बूंद –बूंद तरसना पड़ेगाएक दिन पानी के खातिरकल सुहावन रहे बसयही तो जिंदगी है
आ रहा है फिर से चुनाववो फिर से बरगलाने आयेंगे त्यार रहो नागरिकोंवो भीख मांगने आयेंगेआ रहा है फिर से चुनाववो फिर से बरगलाने आयेंगे
चिड़ियाँ रानी यूं मुस्का केतुम कहां जाती हो ?हां तुम कहां जाती हो ?चीं –ची करते हुए आकाश मेंउड़ क्यूं जाती हो ? डाल –डाल
इससे पहले कुछ हो जाए,मानवता पर आँच भीषण आए,हमे निर्भीक और मासूमियत सेमानवता पर वार रोकना होगा यह संघर्ष है हमारे जीने कीहमें परमाणु युद्ध
सड़ चुके किचड़ में हीकमल के फूल निकलती है,ये खुशी का इजहार न कर,ये खुशियाँ तकलीफ से निकलती है। वो दिखते बहुत खुशहाल हैपर अंदर
हे प्रेम ! की बहती हवाओं सुनोंमैं हूंँ नही कोई निरोगीमुझे बचालो उसके कदमों सेअब मैं हूंँ एक गुलाम प्रेम रोगी । अब खो रहा