योग की मानव जीवन में आवश्यकता
संसार में सामान्य रूप से प्रवृत्ति देखी जाती है कि प्रत्येक प्राणी सुख प्राप्त करना चाहता है एवं दुःखों से बचना चाहता है। मानव भी
संसार में सामान्य रूप से प्रवृत्ति देखी जाती है कि प्रत्येक प्राणी सुख प्राप्त करना चाहता है एवं दुःखों से बचना चाहता है। मानव भी
योग एक प्राचीन भारतीय विद्या है। इसका मूल स्रोत वेदों में प्राप्त होता है, यथा- योगेयोगे तवस्तरं[१], स धीनां योगमिन्वति[२] एवं युज्यमानो वैश्वदेवो युक्तः प्रजापतिर्विमुक्तः